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भारतीय मीडिया और हम

एक पत्रकार या मीडिया का क्या उद्देश्य होना चाहिए?यह प्रश्न बहुत महत्वपूर्ण है और हम सभी को इस प्रश्न के जवाब के बारे मे सोचना चाहिए।
मेरे अनुसार मीडिया का मूल उद्देश्य खबर को सच्चाई के साथ प्रकाशित, प्रचारित या प्रसारित करना होना चाहिए।अब प्रश्न यह है कि मीडिया अपने उद्देश्य में सफल हो रहा है या नही?
थोड़ा सा गंभीरता से सोचेंगे तो समझ आ जायेगा कि कुछ भी सही नही हो रहा है।ऐसा क्या हो गया भाई जो मीडिया भटक रहा है?
एक वक्त था जब प्रेस का एकमात्र उद्देश्य अपने अखबार या पत्रिका के माध्यम से समाज में सकारात्मक चेतना व स्फूर्ति पैदा करना होता था।आज प्रेस या मीडिया अपने अखबार या चैनल के माध्यम से ताकतवर लोगो के ऐजेंडे को प्रोपेगैंडा मे बदल कर पैसा कमाती है।
कुछ ईमानदार मीडिया व पत्रकार अभी बचे हैं जो अपने काम को बखूबी कर रहे हैं।
ओबामा के उस बयान को अवश्य सुनना चाहिए जिसमें उन्होंने कहा कि "पत्रकार को चमचा नही होना चाहिए, उसे संदेहवादी होना चाहिए"।
इंडियन एक्सप्रेस के चीफ एडिटर राजकमल झा  ने एक सम्मान समारोह में कहा कि " ये बहुत अहम है ,खासतौर पर ऐसे समय में जब पत्रकारों की एक पूरी पीढी ट्विटर व लाइक्स के दौर मे बड़ी हो रही है।वो नही जानते कि सरकार की तरफ से की गई आलोचना सम्मान की बात है।"
Jim morison said " whoever controls the media, controls the mind".
Thomas Jefferson said " press is the best instrument for enlightening the mind of man and improving him as a rational,moral and social being."
Shashi tharoor said "freedom of press is the mortar that binds together the bricks of democracy and it is also the open window embedded in those bricks."
प्रेस लोकतंत्र व्यवस्था का चौथा स्तंभ है।विधायिका ,कार्यपालिका और न्यायपालिका के बाद प्रेस या मीडिया का ही नम्बर आता है।
मीडिया आज इतना ताकतवर हो चुका है कि नेता हो या अभिनेता सभी इसका प्रयोग अपने लाभ के लिए करते है।आज ज्यादातर मीडिया और अखबार बड़े बड़े उद्योगपतियों और ताकतवर राजनैतिक दलों के इशारों पर नाचते हैं।यह लोग बेईमान मीडिया को विज्ञापन व पैसे से सराबोर करते हैं बदले मे यह बेईमान मीडिया इनके दूषित एजेंडे को प्रोपेगैंडा मे बदल देता है।
आज मीडिया के माध्यम से बेईमान लोग आम जनता के दिमाग व सोच के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।जनता को फेक न्यूज सभी चैनलों व सभी अखबारों पर बार बार परोसी जाती है।झूठ को बार बार दिखाकर उसे सच बना दिया जाता है।
जनता के दिमाग को नियंत्रित किया जा रहा है।
गलत मुद्दों पर बहस करते हैं और असली मुद्दों को दबा दिया जाता है।तथ्यों को तोड़ते मरोड़ते हैं।झूठ परोसते हैं।फेक न्यूज चलाकर समाज में जहर घोलते हैं।ऐसे मीडिया को मैंने " दूषित मीडिया" नाम दिया है।
ऐसा नही है कि सभी मीडिया या पत्रकार एक ही नाव पर सवार हैं।कुछ अभी भी अपनी नैतिक जिम्मेदारी को निभा रहे हैं।वह आज भी सरकार व समाज के लिए आईने का काम करते हैं।वह सरकार की योजनाओं,कार्यों व समाज में घट रही घटनाओं का उचित आंकलन करके जनता को उसकी सच्ची व तथ्यपरक जानकारी देतें हैं।
अब ये जो दूषित मीडिया है उसकी सफाई कैसे हो?ये अहम सवाल है जिसका जवाब देना बहुत मुश्किल परंतु जरूरी है।पहला तरीका है "जनजागरण"।मतलब सब कुछ हमारी जानकारी पर निर्भर करता है।जनता जागरुक हो और पेड न्यूज , फेक न्यूज व प्रोपेगैंडा को पहचाने व दूषित मीडिया का बहिष्कार करें।
दूसरा तरीका "आत्ममंथन" है।मतलब मीडिया स्तिथि की गंभीरता को समझते हुए अपना आत्ममंथन करे।मीडिया को अपनी नैतिक जिम्मेदारी समझते हुए अपने अंदर की दूषित मीडिया को बाहर फेंकना होगा।
कुछ लोग यह सुझाव देते हैं कि जो मीडिया भ्रष्ट है उस पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए।लेकिन हमारा ये मुल्क जज्बातों से नही ,संविधान से चलता है।और भारतीय संविधान के अनुसार अनुच्छेद 19(1)a में दिऐ गये " स्वतंत्रता के मूल अधिकार" को प्रेस की स्वतंत्रता के समकक्ष माना गया है।मीडिया, प्रेस का ही अंग है इसलिए मीडिया की आजादी को हम प्रेस की आजादी के समरूप मान सकते हैं।देश की सर्वोच्च अदालत ने अलग अलग विवादों पर दिए निर्देशों मे संविधान में दी गयी प्रेस की आजादी की व्याख्या की है।
मीडिया की आजादी हमेशा से विवादित मुद्दा रहा है।फिर कैसे दूषित मीडिया को नियंत्रित किया जाए?इसका जवाब भी संविधान मे ही है।
संविधान के अनुच्छेद 19(2) मे कहा गया है कि स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार पर केवल युक्तियुक्त प्रतिबंध ही लगाया जा सकता है।निम्न मामलों पर न्यायालय कानून की युक्तियुक्त जांच करता है-
1-राष्ट्र की प्रभुता व अखंडता
2-राष्ट्र की सुरक्षा
3-विदेशी राष्ट्रों के साथ संबंध
4-सार्वजनिक व्यवस्था
5-शिष्टाचार
6-न्यायालय की अवमानना
7-मानहानि
8-अपराध को उकसाना
आप इस विषय पर क्या सोच रखते हैं,कमेंट वाले कॉलम मे लिखकर बताईयेगा।
अब आप लोगों को कुछ रोचक व हास्य से भरे कार्टून व्यंग के साथ छोड़ जाता हूं।जो आपको गुदगुदाने के साथ साथ सोचने के लिए मजबूर करेंगे।





Comments

  1. Aapne bilkul sai kaha , media is not showing important issues in prime time which is really frustrating as common man

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  2. सही कहा आपने।इसी लिए आपकी और हमारी जिम्मेदारी बड़ जाती है।

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  3. Sahi kha Aapne aajkl to rupay lekar news dikhai jati hain.

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